कविता संग्रह >> भूख का मानचित्र भूख का मानचित्रसचिन कुमार जैन
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भूख को गाया नहीं जा सकता, उसकी तड़प को महसूस करने की जरूरत होती है...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
भूख को गाया नहीं जा सकता, उसकी तड़प को महसूस करने की जरूरत होती है। उससे बात करना होता है और जब आप उससे बात करते हैं तो कविता का जन्म होता है।
भूख अपने में कुछ भी नहीं है, लेकिन जब आप उसे सम्पूर्ण आभामण्डल के साथ देखते है तो उसकी विकरालता का अन्दाजा होता है। एक बात और कि भूख को जितना समझने की कोशिश की, हम उतना ही उसमें उलझते चले गये।
कविताओं के इस संकलन मे हमने इसे दिखाने की कोशिश की है।
भूख अपने में कुछ भी नहीं है, लेकिन जब आप उसे सम्पूर्ण आभामण्डल के साथ देखते है तो उसकी विकरालता का अन्दाजा होता है। एक बात और कि भूख को जितना समझने की कोशिश की, हम उतना ही उसमें उलझते चले गये।
कविताओं के इस संकलन मे हमने इसे दिखाने की कोशिश की है।
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